.NET
माइक्रोसॉफ्ट डॉट नेट टेक्नोलॉजी कई प्रकार के एप्लीकेशन बनाने में सहायक है। डॉट नेट टेक्नोलॉजी की मदद से आप विंडोज और वेब एप्लीकेशंस बना सकते हैं। इसके अतिरिक्त मोबाइल एप्लीकेशंस भी डॉट नेट टेक्नोलॉजी की मदद से बनाना संभव है। इस प्रकार डॉट नेट टेक्नोलॉजी पुरानी टेक्नोलॉजी से बेहतर है। पुरानी टेक्नोलॉजी से तात्पर्य सी ओ एम कॉम टेक्नोलॉजी जिसे कॉम्पोनेंट ऑब्जेक्ट मॉडलिंग भी कहते हैं, से है।
ASP.NET
एएसपी डॉट नेट क्या है? ASP.NET का पूरा नाम एक्टिव सर्वर पेज नेटवर्क इनेबल्ड टेक्नोलॉजी है।
Classic ASP
ASP एएसपी अर्थात एक्टिव सर्वर पेज एक कॉम टेक्नोलॉजी है जिससे डॉट नेट से पहले वेब पेज बनाए जाते थे परंतु डॉट नेट के आने के बाद एएसपी टेक्नोलॉजी को छोड़कर अब माइक्रोसॉफ्ट ASP.NET टेक्नोलॉजी को वेब पेज बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। वर्तमान में ASP.NET टेक्नोलॉजी की मदद से ही ज्यादातर वेब पेज बनाए जाते हैं।
माइक्रोसॉफ्ट ASP.NET टेक्नोलॉजी में लगातार सुधार होता रहा है। इस टेक्नोलॉजी के अंतर्गत फ्रेमवर्क क्लासेस होते हैं जिसे यूज कर ऐप्प डेवलप किया जाता है।
What is framework?
फ्रेमवर्क क्या है। फ्रेमवर्क से तात्पर्य कुछ आधारभूत क्लासेज fundamental classes के समूह जिसे लाइब्रेरी कहते हैं, से है। इन बेस क्लासेज base classes की मदद से डेवलपर अपने एप्लीकेशन को डिवेलप करते हैं। इस कारण डेवलपमेन्ट के समय में एवं डेवलपर के समय में बचत होती है।
Templates
फ्रेमवर्क क्लासेस के अंतर्गत शुरू में ही कुछ टेंपलेट मिल जाते हैं जिन टेंपलेट का उपयोग कर डेवलपर अपने एप्लीकेशन को डिवेलप करते हैं। डॉट नेट के अंतर्गत अगर आपको विंडोज एप्लीकेशन बनाना हो अथवा वेव अप्लीकेशन बनाना हो तो सबसे पहले आप एक नए प्रोजेक्ट को सेलेक्ट करते हैं। प्रोजेक्ट के अंतर्गत आप विंडो टेंपलेट अथवा वेब टेंप्लेट का चयन करते हैं। यह चयन इस बात पर निर्भर करता है कि आप विंडोज एप्लीकेशन बनाना चाहते हैं अथवा वेवएप्लीकेशन। अगर आपको वेब एप्लिकेशन बनाना है तो टेंपलेट वेब के चुनेंगे।
Language
उसके साथ साथ आपको अपने प्रोजेक्ट के लैंग्वेज का भी चयन करना पड़ता है। इसके पीछे कारण यह है कि डॉट नेट के अंतर्गत विभिन्न प्रोग्रामिंग लैंग्वेज उपलब्ध है और आप उनमें से किसी एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की मदद से अपनी एप्लीकेशन को डिवेलप कर सकते हैं। ज्यादातर केस में एप्लिकेशन डिवेलप करने के लिए डेवलपर सी शार्प लैंग्वेज का उपयोग करते हैं। अगर आप चाहे तो VB.NET लैंग्वेज का उपयोग कर सकते हैं। VB.NET लैंग्वेज विजुअल बेसिक लैंग्वेज का ही एक अपग्रेडेड वर्शन है जो डॉट नेट टेक्नोलॉजी के अंतर्गत उपलब्ध है। ऐसे आमतौर पर वेब एप्लिकेशन के लिए सी शार्प C# लैंग्वेज में ज्यादातर डेवलपर वेब डेवलपमेंट का कार्य करते हैं।
.NET Versions
डॉट नेट फ्रेमवर्क के अलग-अलग वर्शन में एप्लीकेशन को डिवेलप करना संभव है। डॉट नेट फ्रेमवर्क के अलग-अलग वर्शन में जब किसी एप्लीकेशन को डिवेलप किया जाता है तो उस एप्लीकेशन की सिक्योरिटी फीचर में अंतर होते हैं। जो अद्यतन फ्रेमवर्क वर्सन है उसमें एप्लीकेशन को डिवेलप करने पर ज्यादा सिक्योरिटी उपलब्ध होती है। एप्लीकेशन की सिक्योरिटी से तात्पर्य कोड एक्सेस सिक्योरिटी और अन्य प्रकार की सिक्योरिटी से है।
Code Access Security
कोड एक्सेस सिक्योरिटी का तात्पर्य है की एप्लीकेशन के कोड दूसरे अनधिकृत एप्लीकेशन या व्यक्ति द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है। माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी अपने एप्लीकेशन में सिक्योरिटी फीचर के लिए बहुत ही ज्यादा ध्यान रखती है और निरंतर सिक्योरिटी फीचर को अपग्रेड करती रहती है। जितना लेटेस्ट डॉट नेट फ्रेमवर्क एप्लीकेशन को डिवेलप करने में यूज करेंगे उतना ही एप्लीकेशन सिक्योर होगा।
IDE
अब हम डॉट नेट टेक्नोलॉजी के अंतर्गत किसी एप्लीकेशन को डिवेलप करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट द्वारा उपलब्ध आईडीई अर्थात इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट एनवायरमेंट की बात करेंगे। इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट एनवायरमेंट एक एप्लीकेशन एडिटर होता है जिसकी मदद से कोई डेवलपर आपने डॉट नेट एप्लीकेशन को सरलता से डेवलप कर सकता है।
Visual Studio
माइक्रोसॉफ्ट डॉट नेट एप्लीकेशन को डिवेलप करने के लिए विजुअल स्टूडियो नामक एप्लीकेशन या इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट एनवायरमेंट उपलब्ध कराती है। विजुअल स्टूडियो दो रूप में उपलब्ध है। इसका फ्री वर्शन और लाइसेंस्ड वर्शन भी उपलब्ध है। कहने का तात्पर्य यह है कि डेवलपर फ्री वर्शन के विजुअल स्टूडियो का उपयोग कर डॉट नेट एप्लीकेशन को डिवेलप कर सकता है। इसके अतिरिक्त और भी अन्य आईडीई मार्केट में उपलब्ध है जिनकी मदद से डॉट नेट एप्लीकेशन को डिवेलप किया जा सकता है।
विजुअल स्टूडियो एक बहुत ही बड़ा या हेवी एडीटर है। विजुअल स्टूडियो की मदद से किसी प्रकार का एप्लीकेशन जैसे कंसोल एप्लीकेशन, विंडोज एप्लीकेशन, वेब एप्लीकेशन या मोबाइल एप्लीकेशन डेवलप किया जा सकता है।
Visual studio Start Page
विजुअल स्टूडियो को स्टार्ट करने पर एक स्टार्ट पेज दिखता है। इस स्टार्ट पेज को हिडन या विजिबल किया जा सकता है। इसके लिए ऑप्शन से जाकर सेटिंग चेंज करनी होती है। विजुअल स्टूडियो के अंतर्गत न्यू प्रोजेक्ट स्टार्ट करने के लिए कंट्रोल प्लस शिफ्ट प्लस एन बटन्स को एक साथ दबाते हैं। इसके फल स्वरूप न्यू प्रोजेक्ट का विंडो या डायलॉग बॉक्स सामने आता है। सबसे पहले लेफ्ट पेन में टेंप्लेट के अंतर्गत अपनी भाषा का चयन करना होता है। यह सी शार्प अथवा विजुअल बेसिक इत्यादि हो सकता है। भाषा का चयन करने के उपरांत हमें जिस तरह का एप्लीकेशन बनाना हो जैसे उदाहरण के लिए वेब एप्लीकेशन या विंडोज एप्लीकेशन उसका चयन करना होता है। ऐसा करने के उपरांत बीच वाले विंडोज एयरप्लेन में हमें अलग-अलग इंटरफ़ेसेज दिखाई देते हैं। इंटरफ़ेसेज वस्तुतः अलग-अलग तरह के एप्लीकेशन जैसे विंडोज फॉर्म एप्लीकेशन आदि होते हैं। उदाहरण के लिए यदि विंडोज फॉर्म क्रिएट करना हो तो डेवलपर को विंडोज फॉर्म एप्लीकेशन का चयन करना होगा। ऐसा करने के उपरांत एक नया डायलॉग बॉक्स रिपेयर होता है। इस डायलॉग बॉक्स में डेवलपर को अपने एप्लीकेशन का नाम और जिस लोकेशन पर एप्लीकेशन को सेव करना हो उसको देना पड़ता है। आमतौर पर एप्लीकेशन का नाम और सॉल्यूशन का नाम समान होता है।
Visual studio: Solution Explorer
सॉल्यूशन से तात्पर्य यह क्या एक से अधिक प्रोजेक्ट के समूह से है। कई बार ऐसा होता है कि किसी प्रोजेक्ट के कंपोनेंट को किसी अन्य प्रोजेक्ट में उपयोग किया जाता है। इस विषय को ध्यान में रखते हुए सॉल्यूशन की धारणा विजुअल स्टूडियो के अंतर्गत दिखाई देती है। आमतौर पर जब हम एक नया प्रोजेक्ट बनाते हैं तो सॉल्यूशन का नाम और प्रोजेक्ट का नाम समान होता है परंतु यह ध्यान रखने वाली बात है की सोल्यूशन के अंतर्गत एक या एक से अधिक प्रोजेक्ट उपलब्ध हो सकते हैं। विजुअल स्टूडियो के राइट में दाहिनी तरफ सॉल्यूशन एक्सप्लोरर विंडो होता है। विंडो के भीतर एक या एक से अधिक प्रोजेक्ट दिखाई देते हैं। जब हम कोई नया प्रोजेक्ट बनाते हैं तो सॉल्यूशन एक्सप्लोरर विंडो के अंतर्गत वही एकमात्र प्रोजेक्ट दिखाई देता है और उस प्रोजेक्ट के अंतर्गत जिस एप्लीकेशन को विकसित कर रहे हैं उस एप्लीकेशन का नाम भी दिखाई देता है। यह सब सोपानीकृत दृश्य होता है। विजुअल स्टूडियो के अंतर्गत सॉल्यूशन एक्सप्लोरर को समझना अत्यंत जरूरी है। जैसा कि हमने देखा की सॉल्यूशन एक्सप्लोरर के अंतर्गत प्रोजेक्ट और एप्लीकेशन दिखाई देते हैं।
Web Config file
जैसा कि हम जानते हैं कि एक एप्लीकेशन कई सारे लाइब्रेरीज और क्लासेज को रिफरेंस कर सकता है। इन रेफरेंसेस को दिखाने के लिए हमें रेफरेंसेस बटन को क्लिक करना होता है। एक बात और समझने लायक है कि जब हम वेब एप्लीकेशन डेवलप करते हैं तो सॉल्यूशन एक्सप्लोरर के अंतर्गत हमें वेब कॉन्फ़िग नामक एक फाइल भी दिखाई देती है। यह फाइल वेब एप्लीकेशन को कंफीगर करने में उपयोग की जाती है। ध्यान देने वाली बात है कि आप ना केवल एक एप्लीकेशन को कंफीगर कर सकते हैं अपितु पूरे मशीन को भी कंफीगर कर सकते हैं। वेब कॉन्फ़िग XML फ़ाइल होता है। वेब कंफीग्रेशन फाइल का उपयोग किसी वेब एप्लीकेशन के कंफीग्रेशन के लिए किया जाता है। इसका तात्पर्य है कि जब हम उस एप्लीकेशन में यूज असेंबली या नेमस्पेस या वेरिएबल इत्यादि को एप्लीकेशन लेवल पर सेट करना चाहते हैं अथवा उसका मान प्राप्त करना चाहते हैं तो हम उस वेरिएबल, नेमस्पेस या असेंबली को वेब कॉन्फ़िग फाइल में लिख देते हैं। वह एप्लीकेशन उस वेब कंफीग्रेशन फाइल को देखकर यह निश्चित कर लेता है कि किस नेमस्पेस, असेंबली अथवा वेरिएबल को यूज करना है।
मशीन को कनफिगर करने का तात्पर्य है की उस मशीन पर उपलब्ध सारे एप्लीकेशंस मशीन कंफीग्रेशन के अनुसार कॉन्फ़िगर हो जाते हैं। इसके विपरीत एप्लीकेशन कंफीगर करने पर केवल वही एप्लीकेशन प्रभावित होता है।
फॉर्म कंट्रोल्स
डॉट नेट के अंतर्गत वेब एप्लीकेशन अथवा विंडोज एप्लीकेशन को बनाने के लिए हमें फॉर्म की जरूरत पड़ सकती है। किसी फॉर्म पर अलग-अलग तरह के कंट्रोल्स को व्यवस्थित कर उपयुक्त फॉर्म का निर्माण किया जाता है। अब यह कंट्रोल्स दो प्रकार के हो सकते हैं। एक ऐसे कंट्रोल होते हैं जिनको एचटीएमएल form-control कहते हैं। दूसरे तरह के कंट्रोल होते हैं जिनको सर्वर form-control कहते हैं। एचटीएमएल कंट्रोल और सर्वर कंट्रोल में अंतर होता है
© अजीत कुमार, सर्वाधिकार सुरक्षित।
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