एक वेबसाइट वस्तुतः कई सारे फाइल्स का ग्रुप होता है जो एक या एक से अधिक फोल्डर के अंतर्गत हो सकते हैं। एक फोल्डर के भीतर दूसरे फोल्डर जब होते हैं तब भीतर वाले फोल्डर को सबफोल्डर कहते हैं।
वेबसाइट बनाने के लिए फाइल्स को फोल्डर और सबफोल्डर के अंतर्गत रखते हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है की वेबसाइट के अंतर्गत कोई प्रोजेक्ट फाइल नहीं होता है। सारे फाइल्स एक या एक से अधिक फोल्डर के भीतर रखे जाते हैं। वेबसाइट के अंतर्गत प्रयोग किए जाने वाले फाइल जैसे वर्ड डॉक्युमेंट, टेक्स्टफाइल इमेज फाइल इत्यादि होते हैं। इन सब फाइल्स को फोल्डर के भीतर रखते हैं यहां तक कि सोर्स फाइल को भी।
सबसे बड़ी बात समझने की यह है की फाइल को कंपाइल रनटाइम में डायनॉमिकली किया जाता है।
विजुअल स्टूडियो के अंतर्गत किसी वेबसाइट को बनाने के लिए हमें फाइल मेनू को क्लिक करना होता है फिर न्यू और फिर वेबसाइट। File >New>Website...
अब जब हम किसी वेबसाइट को बनाते हैं तो हमें यह भी निर्धारित करना होता है यह सारे फाइल किस फोल्डर में रखे जाएंग। इसके लिए विजुअल स्टूडियो के अंतर्गत हमें तीन ऑप्शन दिया गया है।पहला फाइल सिस्टम, दूसरा एचटीटीपी और तीसरा एफटीपी।
फाइल सिस्टम के अंतर्गत हम एक फोल्डर सेलेक्ट करते हैं जिसमें की वेबसाइट के फाइल्स रखे जाएंगे। इसी तरह एचटीटीपी के अंतर्गत हमें एक वर्चुअल डायरेक्टरी बनाना होता है जिसके अंतर्गत वेबसाइट के फाइल्स रखे जाते हैं। तीसरा ऑप्शन एफटीपी का है जो हमें किसी एफटीपी लोकेशन को सेलेक्ट करने के लिए आज्ञा प्रदान करता है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि वेबसाइट डेवलपमेंट करते समय विजुअल स्टूडियो किसी प्रोजेक्ट फाइल को क्रिएट नहीं करता है। सारे फाइल्स किसी फोल्डर के अंतर्गत ही रखे जाते हैं दूसरी बात यह है कि कोई एसेंबली फ़ाइल भी नहीं क्रिएट होता है और ना ही कोई बिन bin फोल्डर ही दिखाई देगा।
इस तरह वेबसाइट बनाने का फायदा यह है कि कोई प्रोजेक्ट फाइल नहीं होती और ना ही कोई वर्चुअल डायरेक्टरी होती है। अतः वेबसाइट के फाइल्स को शेयर करना आसान होता है। इसके लिए सिंपली सीधे सारे फाइल्स को कॉपी कर एक फोल्डर में रखना होता है।
मान लीजिये कि किसी दूसरे वेबसाइट के फाइलस आप एक फोल्डर में रख देते हैं तो आपका वेबसाइट क्रिएट हो जाएगा। लेकिन सबसे बड़ी परेशानी तब होती है जब बेकार के कई सारे फाइल्स भी उस फोल्डर में पड़े रह जाते हैं। शुरू में माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने वेबसाइट के लिए इसी तरह के कंसेप्ट को विकसित किया था। उसे आशा था कि डेवलपमेंट कॉमिनिटी development community इसको पसंद करेगी। परंतु इससे परेशानियां पैदा हुई जब हनुमान इमेज, ऑडियो, वीडियो इत्यादि फाइल्स वेबसाइट फोल्डर में रखे रहते थे।
इन सब समस्याओं को देखते हुए माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने अप्रैल 2006 में विसुअल स्टूडियो 2005 एप्लीकेशन प्रोजेक्ट उनके रूप में एक डॉन के रूप में उपस्थित किया डॉन के कारण डेवलपर को अप्लीकेशन को डेवलप करना आसान हो गया।
वर्तमान में भी विजुअल स्टूडियो कोड बिहाइंड मॉडल को फॉलो करती है। एक प्रोजेक्ट के अंतर्गत जितने भी कोड फाइल होते हैं उन सभी फाइल्स को कंपाइल करके एक अकेला सिंगल असेंबली क्रिएट किया जाता है और उसको कॉपी कर बिन bin डायरेक्टरी में रख दिया जाता है। प्रोजेक्ट के अंतर्गत जितने भी फाइल होते हैं और जितने भी असेंबली रिफरेंस होते हैं उसको प्रोजेक्ट फाइल के अंतर्गत रिफरेंस किया जाता है। वेबसाइट के फाइल सिस्टम, जिस तरह कंप्यूटर के भीतर हमारा एक फाइल सिस्टम होता है उसी तरह वेब फाइल सिस्टम भी बनाया गया है, का जो रूट फोल्डर होता है उसके अंतर्गत जो फाइल्स एक प्रोजेक्ट के पार्ट नहीं है उनको विचार नहीं किया जाता है, उनको डिस्कार्ड कर compile किया जाता है। इन कार्यों के लिए विसुअल स्टूडियो स्वत सक्षम है।
लेखक अजीत कुमार
अंतिम बार अद्यतन २७ /७ /२०२३
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