किसी भी डेटाबेस प्रोग्रामिंग के अंतर्गत कनेक्शन शब्द का अर्थ समझना जरूरी है। asp.net के अंतर्गत किसी डेटाबेस से डाटा को एक्सेस करने के लिए वेब सर्वर को उस डाटाबेस सर्वर के साथ कनेक्शन स्थापित करना होता है। जब उस डाटाबेस सर्वर के साथ वेब सर्वर का कनेक्शन स्थापित हो जाता है तब उस डेटाबेस के किसी टेबल से डाटा को fetch किया जा सकता है। डेटाबेस प्रोग्रामिंग के अंतर्गत कनेक्शन का क्या निहितार्थ है? इस बात को समझने के लिए हम एक रूपक का उदाहरण लेंगे।
मान लीजिए किसी नदी के जल को आपके घर तक पहुंचाना हो तो उसके लिए क्या उपाय किया जाएगा। उसके लिए हमें उस नदी से घर तक कनेक्शन स्थापित करना होगा। यहाँ कनेक्शन का अभिप्राय पाइप लाइन बिछाने से है, पाइप लाइन बिछाने के लिए हमें खर्च करना होगा साथ ही, हमें पानी को खींचने के लिए मोटर पंप की भी जरूरत होगी। इस तरह हम देखते हैं जलधारा को जल स्रोत से लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए कई तरह के खर्च करने पड़ते हैं।
ठीक इसी तरह की बात डेटाबेस कनेक्शन के साथ भी है। हम जानते हैं कि अलग-अलग तरह के डेटाबेस सर्वर होते हैं जैसे माइक्रोसॉफ्ट एसक्यूएल सर्वर, ओरेकल सर्वर, MySQL इत्यादि। प्रत्येक डेटाबेस सर्वर की प्रकृति अलग-अलग है। अतः उनसे डाटा को fetch करने के लिए अर्थात वेब सर्वर तक डाटा को पहुंचाने के लिए खास खास तरह की तकनीक का प्रयोग करना होता है। अतः डाटा प्राप्त fetch करने के लिए जिन तकनीक का उपयोग किया जाता है वही उसका खर्च cost है।
अब हम देखते हैं कि वेब सर्वर को डाटा सर्वर के साथ कनेक्शन स्थापित करने के लिए क्या क्या साधन चाहिए। कनेक्शन बनाने के लिए सर्वप्रथम वेब सर्वर को उस डेटाबेस सर्वर के बारे में कोड में बताना पड़ता है। साथ ही, यह भी बताना पड़ता है कि डाटाबेस सर्वर के किस डाटाबेस के साथ कनेक्शन को जोड़ना है। और इसके अलावा, अलग-अलग तरह के डाटाबेस सर्वर के होने कारण हमें डेटाबेस प्रोवाइडर की भी जरूरत पड़ती है जो किसी खास डेटाबेस सर्वर के साथ जुड़कर डाटा को fetch कर पाता है। उदाहरण के लिए नल सरोवर माइक्रोसॉफ्ट एसक्यूएल सर्वर के साथ कनेक्शन स्थापित करने के लिए अलग तरह के प्रोवाइडर की जरूरत पड़ती है जबकि ओरेकल के लिए किसी और प्रकार के प्रोवाइडर की जरूरत पड़ती है। प्रोवाइडर मूल रूप से सॉफ्टवेयर है और यह सॉफ्टवेयर कंपनियां बनाती है।
कनेक्शन स्थापित करने के लिए कई तरह की तकनीक है जैसे कि कनेक्शन स्ट्रिंग।
कनेक्शन स्ट्रिंग टेक्निक के अंतर्गत किसी डेटाबेस सर्वर के साथ कनेक्शन स्थापित करने के लिए कई सारे एट्रिब्यूट को एक स्ट्रिंग वेरिएबल के भीतर डिफाइन करना होता है जो इस प्रकार है। सबसे पहले तो डाटा सोर्स या सर्वर का नाम देना पड़ता है जिसके साथ कनेक्शन स्थापित करना है दूसरा उस सर्वर के किसी खास डेटाबेस का भी नाम देना पड़ता है इसके अलावा यूजरनेम और पासवर्ड को भी कनेक्शन स्ट्रिंग के भीतर दिया जाता है। विंडोज authentication की स्थिति में यूजरनेम और पासवर्ड नहीं दिया जाता है। साथ ही, डेटाबेस प्रोवाइडर का नाम भी देना अनिवार्य है।
बेव एप्लीकेशन के अंतर्गत कनेक्शन स्ट्रिंग का उपयोग एएसपीएक्स फाइल के अंतर्गत किया जाता है। इसके अलावा हम इसका उपयोग वेबकॉन्फ़िग फाइल के भीतर भी कर सकते हैं। जब एएसपीएक्स फाइल के अंतर्गत कनेक्शन स्ट्रिंग का उपयोग किया जाता है तो इस वेरिएबल का स्कोप application-level होता है जबकि एएसपीएक्स फ़ाइल के अंतर्गत कनेक्शन स्ट्रिंग का उपयोग करने पर उसका स्कोप केवल उसी पेज तक होता है।
कनेक्शन के कंसेप्ट को अलग-अलग तकनीक के द्वारा इंप्लीमेंट किया जा सकता है। माइक्रोसॉफ्ट में इसको ADO ActiveX Data Object एडीओ टेक्नोलॉजी, ADO.NET टेक्नोलॉजी और अन्य तकनीक में इंप्लीमेंट किया गया है।
कनेक्शन ऑब्जेक्ट के कुछ मेथड्स और प्रोपर्टीज होते हैं जिनके द्वारा किसी डेटाबेस सर्वर के साथ कनेक्शन स्थापित किया जाता है।
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